प्रदेश की भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार की एक और प्रमुख योजना को खत्म करने की तैयारी कर ली है। गहलोत सरकार द्वारा शहरों में 15 हजार लीटर तक मुफ्त पानी देने की योजना पर अब ब्रेक लगने वाला है। इस योजना को खत्म करने के लिए भजनलाल सरकार ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है और इसे उच्च स्तर पर भेज दिया गया है। मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद जलदाय विभाग फ्री पानी स्कीम को बंद कर देगा।
गौरतलब है कि गहलोत सरकार ने 2019 के बजट में शहरों में 15 हजार लीटर तक मुफ्त पानी देने की योजना लागू की थी। हालांकि, यह लाभ केवल उन्हीं कनेक्शनों को मिल रहा था जिनके मीटर चालू थे, जबकि बंद मीटर वाले कनेक्शनों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा था।
50 प्रतिशत मीटर बंद, दरें बढ़ाने से पहले मीटर चालू करने का प्रस्ताव
जलदाय विभाग के अधिकारियों ने यह भी सुझाव दिया है कि पानी की दरों में बढ़ोतरी करने से पहले सभी कनेक्शनों पर मीटर चालू करने का अभियान चलाना चाहिए। विभाग के मुताबिक, 50 प्रतिशत कनेक्शनों के मीटर बंद हैं, और ऐसे में दरें बढ़ाने से विभाग को कोई फायदा नहीं होगा। मीटर बंद होने के कारण यह भी नहीं पता चलता कि किस उपभोक्ता ने कितना पानी लिया है, जिससे विभाग को नुकसान हो रहा है।
पानी की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव मंजूरी का इंतजार
जलदाय विभाग अब वाटर चार्ज, स्थायी शुल्क और सीवरेज चार्ज में बढ़ोतरी का प्रस्ताव कर रहा है। पिछले छह साल से दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, और अब विभाग ने पुराने पैटर्न को फिर से लागू करने का सुझाव दिया है। वाटर चार्ज और सीवरेज चार्ज में वृद्धि के अलावा अन्य शुल्क में भी बढ़ोतरी का प्रस्ताव है।
15 हजार लीटर तक मुफ्त पानी, लेकिन स्थायी शुल्क और मीटर सर्विस फीस
जलदाय विभाग 2019 से हर महीने 15 हजार लीटर तक पानी पर कोई वाटर चार्ज नहीं ले रहा था। पहले 8 हजार लीटर तक प्रति हजार लीटर पर 1.72 रुपये और 8 से 15 हजार लीटर तक 2.20 रुपये चार्ज लिया जाता था। लेकिन 15 हजार लीटर तक पानी लेने वाले उपभोक्ताओं से अब हर महीने 55 रुपये का वाटर चार्ज और 18.15 रुपये का सीवरेज चार्ज नहीं लिया जाता।
15 हजार लीटर से ज्यादा पानी पर चार्ज
15 हजार लीटर से अधिक पानी उपभोग करने वालों से 4.40 रुपये प्रति हजार लीटर तक का चार्ज लिया जाता है, और 30 हजार लीटर से अधिक पानी पर यह चार्ज बढ़कर 5.50 रुपये प्रति हजार लीटर हो जाता है।
पानी की दरें आखिरी बार वसुंधरा सरकार ने बढ़ाई थीं
प्रदेश में पिछले छह साल से पानी की दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। आखिरी बार 2018 में वसुंधरा राजे सरकार ने पानी की दरों में वृद्धि की थी, जबकि गहलोत सरकार ने 2019 में पानी की दरों को बढ़ाने की प्रक्रिया को बदल दिया था।