बिहार उपचुनाव: तरारी सीट पर भाजपा ने माले से छीनी जीत, विशाल प्रशांत ने रचा इतिहास
बिहार उपचुनाव में भोजपुर जिले की तरारी विधानसभा सीट पर भाजपा ने महागठबंधन के सहयोगी भाकपा-माले को हराकर बड़ी जीत हासिल की है। भाजपा के विशाल प्रशांत ने भाकपा-माले के राजू यादव को 10,612 वोटों के अंतर से हराया। यह सीट पहले भाकपा-माले के पास थी, लेकिन इस उपचुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा।
नए चेहरे की शानदार शुरुआत
भाजपा प्रत्याशी विशाल प्रशांत, जो हाल ही में राजनीति में आए हैं, ने यहां अपनी पहली जीत दर्ज की। उन्हें कुल 78,755 वोट मिले, जबकि भाकपा-माले के राजू यादव को 68,143 वोट प्राप्त हुए। तीसरे स्थान पर जनसुराज की किरण देवी रहीं, जिन्होंने 5,622 वोट हासिल किए। 3,560 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना।
तरारी सीट: महागठबंधन को झटका
यह सीट पहले भाकपा-माले के विधायक सुदामा प्रसाद के पास थी, लेकिन उनके सांसद बनने के बाद यह खाली हो गई। महागठबंधन ने इस सीट पर फिर से भाकपा-माले को मौका दिया, लेकिन राजग की रणनीति और एकजुटता ने माले को शिकस्त दी।
राजग की जीत के पीछे की वजहें
- स्थानीय प्रभाव: भाजपा प्रत्याशी विशाल प्रशांत के पिता और पूर्व विधायक सुनील पांडेय ने चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी।
- राजग की एकजुटता: भाजपा, जदयू और अन्य सहयोगी दलों ने मिलकर यहां जोरदार प्रचार किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चिराग पासवान समेत कई बड़े नेता प्रचार में जुटे।
- जातिगत समीकरण: राजग ने दुसाध और मुसहर जैसे समुदायों में सेंधमारी कर माले की कमजोरियों का फायदा उठाया।
- महागठबंधन की रणनीतिक चूक: भाकपा-माले ने सुदामा प्रसाद की जगह राजू यादव को प्रत्याशी बनाया, जिसे वैश्य समुदाय ने स्वीकार नहीं किया।
राजनीतिक विश्लेषण
भाकपा-माले के राजू यादव ने हार स्वीकारते हुए कहा, “यह गरीबों की हार और अमीरों की जीत है। केंद्र और राज्य की पूरी भाजपा टीम ने मिलकर हमें हराया।” वहीं, राजग की जीत को उनकी सामूहिक रणनीति और गठबंधन की मजबूती का परिणाम माना जा रहा है।
तरारी उपचुनाव: नतीजों की मुख्य बातें
- भाजपा: 78,755 वोट (विशाल प्रशांत)
- भाकपा-माले: 68,143 वोट (राजू यादव)
- जनसुराज: 5,622 वोट (किरण देवी)
- नोटा: 3,560 वोट
निष्कर्ष:
तरारी सीट पर भाजपा की जीत महज एक उपचुनाव की सफलता नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में राजग की मजबूती और महागठबंधन की कमजोरी को भी दर्शाती है। इस जीत से भाजपा को स्थानीय स्तर पर बड़ी बढ़त मिली है और माले के लिए यह एक बड़ा झटका है।