महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024: भाजपा-शिवसेना गठबंधन की शानदार जीत, क्षेत्रवार नतीजों पर नजर
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे शनिवार को घोषित किए गए। भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने 288 में से 235 सीटों पर जीत दर्ज कर शानदार प्रदर्शन किया। वहीं, महाविकास अघाड़ी गठबंधन (कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना-यूबीटी) को केवल 54 सीटों पर संतोष करना पड़ा। क्षेत्रवार नतीजों ने राज्य की राजनीति के बदलते समीकरण को स्पष्ट किया।
क्षेत्रवार नतीजों का विश्लेषण
पश्चिमी महाराष्ट्र
पश्चिमी महाराष्ट्र, जिसे एनसीपी का गढ़ माना जाता था, इस बार भाजपा-शिवसेना गठबंधन के पक्ष में झुका।
- 2019: एनसीपी ने 21 सीटें जीती थीं, कांग्रेस को 10 सीटें मिली थीं।
- 2024:
- शरद पवार गुट (एनसीपी) सिर्फ 7 सीटों पर सिमट गया।
- अजित पवार गुट (एनसीपी) ने 11 सीटें हासिल कीं।
- भाजपा ने 17 से बढ़कर 24 सीटें जीतीं।
- कांग्रेस को महज 1 सीट मिली।
कोंकण और मुंबई क्षेत्र
कोंकण और मुंबई क्षेत्र में भाजपा-शिवसेना (शिंदे गुट) ने अपनी पकड़ मजबूत रखी।
- 2019: भाजपा को 27 सीटें और शिवसेना (उद्धव गुट) को 29 सीटें मिली थीं।
- 2024:
- भाजपा ने 31 सीटें जीतीं।
- एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 22 सीटें मिलीं।
- उद्धव गुट को सिर्फ 11 सीटों पर सफलता मिली।
- एनसीपी और कांग्रेस को क्रमशः 4 और 3 सीटें मिलीं।
विदर्भ
विदर्भ में भाजपा का वर्चस्व बरकरार रहा।
- भाजपा ने 45 में से 34 सीटों पर कब्जा किया।
- महाविकास अघाड़ी को इस क्षेत्र में सीमित सफलता मिली।
मराठवाड़ा
मराठवाड़ा में भाजपा-शिवसेना गठबंधन का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा।
- भाजपा ने 38 में से 26 सीटें जीतीं।
- कांग्रेस और एनसीपी के हिस्से में कुल 10 सीटें आईं।
उत्तर महाराष्ट्र
उत्तर महाराष्ट्र में भी भाजपा को बढ़त मिली।
- 25 में से भाजपा ने 16 सीटें जीतीं।
- कांग्रेस और एनसीपी को क्रमशः 4 और 3 सीटें मिलीं।
2019 और 2024 का तुलनात्मक विश्लेषण
- 2019: भाजपा-शिवसेना को 161 सीटें मिली थीं। एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन ने 98 सीटें जीती थीं।
- 2024: महायुति ने 235 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की। विपक्षी महाविकास अघाड़ी 54 सीटों तक सीमित रह गई।
निष्कर्ष
2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव ने स्पष्ट कर दिया कि भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) ने कोंकण, विदर्भ, और मराठवाड़ा में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। पश्चिमी महाराष्ट्र, जो एनसीपी का गढ़ माना जाता था, वहां भी भाजपा ने सेंध लगाई। कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी का प्रदर्शन कमजोर रहा। यह नतीजे राज्य की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देते हैं।