दिल्ली चुनाव: क्या है आप-कांग्रेस का गठबंधन न करने का फैसला, और पिछले चुनावों में कैसा रहा पार्टियों का प्रदर्शन?
दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (आप) ने साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस के साथ किसी भी प्रकार के गठबंधन के बिना चुनाव लड़ेगी। वहीं, कांग्रेस ने भी ऐलान किया है कि वह सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में दोनों दलों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।
आइए जानते हैं कि पिछले तीन विधानसभा चुनावों में दिल्ली में राजनीतिक दलों का प्रदर्शन कैसा रहा और उनके वोट प्रतिशत व सीटों का आंकड़ा क्या कहता है।
2013: राजनीतिक उलटफेर और त्रिशंकु विधानसभा
2013 में पहली बार आप ने चुनाव लड़ा और 28 सीटों के साथ भाजपा (31 सीटें) के बाद दूसरे नंबर पर रही। कांग्रेस को महज 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
- वोट प्रतिशत:
- भाजपा: 34.12%
- आप: 29.64%
- कांग्रेस: 24.67%
सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। भाजपा ने सरकार बनाने से इनकार किया, और आप ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई। हालांकि, जनलोकपाल विधेयक पर विवाद के बाद अरविंद केजरीवाल ने 49 दिनों में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
2015: ‘आप’ की प्रचंड जीत
2015 में आप ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन करते हुए 67 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा केवल 3 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस इस चुनाव में खाता भी नहीं खोल पाई।
- वोट प्रतिशत:
- आप: 54.59%
- भाजपा: 32.78%
- कांग्रेस: 9.70%
केजरीवाल ने दूसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
2020: आप की फिर वापसी, भाजपा की बढ़त
2020 के विधानसभा चुनाव में आप ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की, लेकिन इस बार उसे 62 सीटें मिलीं, जो 2015 के मुकाबले 5 कम थीं। भाजपा ने 8 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस फिर से खाली हाथ रही।
- वोट प्रतिशत:
- आप: 53.57%
- भाजपा: 40.57%
- कांग्रेस: 4.63%
गठबंधन पर आप और कांग्रेस का रुख
आगामी चुनाव को लेकर आप और कांग्रेस ने गठबंधन न करने की घोषणा की है। आप ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अकेले चुनाव लड़ेगी। उधर, कांग्रेस ने भी सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है।
क्या कहती है राजनीति?
दोनों दलों का अलग-अलग चुनाव लड़ना दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबले की ओर इशारा करता है। भाजपा, आप, और कांग्रेस के बीच यह मुकाबला दिल्ली की सियासत को नई दिशा दे सकता है।
आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल हाल ही में ईडी के गिरफ्तारी मामले को लेकर चर्चा में रहे, जिससे पार्टी को झटका लगा। अब उनकी सहयोगी आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं। देखना होगा कि यह घटनाक्रम आगामी चुनाव में क्या असर डालता है।